बच्चों की कहानी उनकी जुबानी
15 जुलाई 2016 में जे.एम.सी. के प्रागण में पूर्व छात्रों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया। जिस में 2009 से 2016 तक पढ़ चुके लगभग सभी विध्यार्थी मौजूद थे जो 10वीं व 12वीं में उत्तीर्ण विध्यार्थि और कुछ कॉलेज या कुछ नौकरी करने वाले विध्यार्थी आये थे। बहुत ही उमंग और उल्लास के साथ ये सारे छात्र जे.एम.सी. में आये थे वह सब आपस में एक दूसरे के साथ मिलकर व जे.एम.सी. टीचर्स को मिलने से उनकी खुशी का कोई जवाब नहीं था।
कार्यक्रम की शुरुआत सुरेश सिहं ने बच्चों को कार्यक्रम का मकसद बताते हुए किया। उन्होंने बच्चों को उनके सफल जीवन के लिए शुभकामनाएं दी। साथ में यह भी कहा कि जो बच्चे 10वी व 12वी कक्षा में उत्तीर्ण हुए उसमें जिनको कम नम्बर आये उनको हताश होने की जरूरत नहीं आगे और कोशिश करनी चाहिये। पढाई की कोई उम्र नहीं होती है हमेशा पढते रहना है।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए विमला रामकृष्णन् ने बच्चों की उपस्थिती को लेकर खुषी जाहिर करते हुए सभी बच्चों का स्वागत किया। फिर बच्चों के बीच एक प्रश्नपत्र का वितरण किया गया जिसमें उनका नाम, घर का पता और फोन नम्बर के साथ उनकी जिंदगी के कुछ अहम बातों का जिक्र करना था। सभी बच्चों से उनके जीवन से संबंधित अनेक प्रकार की चुनौतियों तथा उनके जीवन के मकसद के बारे में चर्चा की गई।
सभी बच्चों ने अनेक प्रकार की जरूरतो का जिक्र किया जो उनके सामाजिक और निजी दोनो प्रकार की स्थितियों को चुनौती दे रहा है। जैसे उनकी आर्थिक स्थिति जो हमेशा उच्च शिक्षा तथा आगे बढ़ने में रुकावट पैदा करती है। साथ ही उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज या संस्थाओं में नामांकन कराने में आई समस्याएं जो अनेक रुपों में सामने आई जैसे पैसे की कमी, अंको के प्रतिशत, कॉलेज की दूरी आदि। इसके साथ ही साथ जो बच्चे अपना कॉलेज पूरा कर चुके उनके समक्ष सबसे बड़ी समस्या नौकरियों की है जो उनके साथ-साथ उनके परिवार के लिए भी एक समस्या पैदा करती है।
सभी बच्चों से अनेक प्रकार के ऐसे जबाब आए जिनमें से बताया गया कि वह और बच्चो को जे.एम.सी. में आने की सलाह क्यों देते हैं?
एक तरफ मनीष और मुकुल ने कहा कि जे.एम.सी. एक ऐसा परिवेश है जो बच्चों को न सिर्फ शिक्षा देती है बल्कि आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करती है तो दूसरी तरफ सोनिका, प्रीति,राखी, काजल और शिवानी ने कहा कि शिक्षा, खेल, नृत्य, पेंटिग आदि कलाओं के साथ-साथ बच्चों में आत्मविश्वास भी जगाया जाता है।
फिर खुशबू, अर्निका व मोनिका ने कहा कि कलाओं से संबंधित बच्चों को अपना हुनर यहां दिखाने का मौका दिया जाता है तथा उन्हे उस कला में आगे बढ़ने की सलाह भी दी जाती है। तब अमन ठाकुर ने कहा कि जिंदगी में आनेवाले परेशानियों को कैसे सामना करे यह मैने यहां आकर सीखा।
उसके बाद तनुजा, गुड्डीरानी और नीरज ने कहा कि जे.एम.सी. हमेशा से बहुत ही सहायक और हर समस्या का समाधान देने की कोशिश करता है। तब सीमा और माधुरी ने कहा कि अपनी सुरक्षा करना और अपने अधिकारों तथा जीवन कौशल आदि के बारे में भी यहां आकर सीखा। तभी नगमा ने भी कुछ इस तरह से जिक्र किया कि जे.एम.सी. में सभी बच्चो की कमजोरियों को दूर कर उन्हे एक अच्छा नागरिक बनाने की ओर अग्रसर किया जाता है।
इनके अलावा हीना, सोनिका, अंशु नितीश और अर्चना ने भी कहा कि उनको संस्कृति और अपनी सुरक्षा करने की सीख मिली और यहां निशुल्क शिक्षा मिलने से हमे एक सहारा मिला,उसके लिये हम हमेशा जे.एम.सी. के आभारी रहेंगे।
अंत में आर्मिन, अफसाना, शबनम आदि जो जे.एम.सी. में लगभग 8-9 साल पढ़े हैं उन्होने भी कहा कि उनके अन्दर यदि किसी से भी बात करने की हिम्मत और अपनी बात को किसी के सामने रखने की काबिलियत आई है तो वो सिर्फ जे.एम.सी.के बदौलत, आज सब के सामने खडे होकर कहीं भी बात कर सकते हैं।
इन सभी बातों से स्पष्ट है कि जे.एम.सी. आज भी बच्चों के दिल और दिमाग में छाया रहा जब उनसे पूछा गया कि उन्हे दी गई शिक्षा के आधार पर उनके जीवन का मकसद क्या है तो और आगे जाकर क्या बनना चाहते हैं तो बच्चों ने बताया कि कुछ तो शिक्षक, डॉक्टर, आई.ए.एस.ऑफिसर और कुछ ने बैंक मेनेजर, पुलिस आदि बनने का जिक्र किया।
अंत में बॉबी ने सभी को मुबारकबाद दी और कहा कि सभी बच्चो को हमेशा यहां आने के लिये न्योता दिया। सभी बच्चों से बात कर के ऐसा लगा कि वो सिर्फ अपना नही अपने परिवार, समाज तथा देश का भी भविष्य बनाने की तरफ अग्रसर है और अंत में लगता है कि वो बच्चे जो जे.एम.सी. के बच्चे थे, अब बच्चे नही रहे बल्कि बड़े हो गए है।